कभी ख़ुद पे, कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज, यह किस बात पे रोना आया
किस लिए जीते हैं हम, किसके लिए जीते हैं
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर, ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज, यह किस बात पे रोना आया
किस लिए जीते हैं हम, किसके लिए जीते हैं
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर, ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी