Tuesday 17 December 2019

परदा... सिनेमाई करिश्मा!

परदा... एक ऐसा सच है
जिसमें हम वही देखते हैं
जो हम देखना चाहते हैं
हम देखना चाहते हैं ग्लैमर
और चाहते हैं सस्पेंस

उस परदे पर
हमें वही मिलता है
बिल्कुल वही
हम जब-जब भी
परदे के सामने होते हैं

हम भूल जाते हैं कि
हम परदे के सामने बैठे हैं
हम सोचते हैं कि
हम भी वहीं हैं जहां
ये सब हो रहा है

चाहे वांटेड का सलमान हो
या गजनी का आमिर
चाहे वह देवदास हो
या फिर हो आनन्द

कभी सोचा है
कि ऐसा क्यों होता है
शायद इसलिए क्योंकि
हम अपने अन्दर
तरह-तरह के चरित्र बनाते हैं
कभी खुद में बच्चन
तो कभी ब्रेड पिट को
बुलाते हैं!!!

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