Showing posts with label भावनाएं. Show all posts
Showing posts with label भावनाएं. Show all posts

Tuesday 17 December 2019

उस हँसी को ढूँढ़िए

जो रहे सबके लबों पर उस हँसी को ढूँढ़िए।
बँट सके सबके घरों में उस खुश़ी को ढूँढ़िए॥

देखिए तो आज सारा देश ही बीमार है।
हो सके उपचार जिससे उस जड़ी को ढूँढ़िए॥

काम मुश्किल है बहुत पर कह रहा हूँ आपसे।
हो सके तो भीड़ में से आदमी को ढ़ूढ़िए॥

हर दिशा में आजकल बारूद की दुर्गन्ध है।
जो यहाँ ख़ुशबू बिखेरे उस कली को ढूँढ़िए॥

प्यास लगने से बहुत पहले हमेशा दोस्तों।
जो सूखी हो कभी भी उस नदी को ढूँढ़िए॥

शहर-भर में हर जगह तो हादसों की भीड़ है।
हँस सकें हम सब जहाँ पर उस गली को ढूँढ़िए॥

क़त्ल, धोखा, लूट, चोरी तो यहाँ पर आम हैं।
रहजनों से जो बची उस पालकी को ढूँढ़िए॥

- नित्यानंद तुषार

Tuesday 20 April 2010

...तो क्या बात है!

क़िताब के पन्ने पलटकर सोचता हूँ
यूँ पलट जाए ज़िंदगी तो क्या बात है

तमन्ना जो पूरी हो ख्वाबों में
हक़ीक़त बना जाए तो क्या बात है

कुछ लोग मतलब के लिए ढूंढ़ते हैं मुझको
कोई दोस्त बनकर आए तो क्या बात है

क़तल करके तो ले जाएंगे दिल मेरा
कोई नज़रों से चुराए तो क्या बात है

जो शरीफों की शराफत में बात न
होएक भंवरा कह जाए तो क्या बात है

ज़िंदा रहने तक तो खुशी दूंगा सबको यारो
अगर मेरी मौत से खुशी मिले किसी को तो क्या बात है

(अज्ञात)

Related Posts with Thumbnails