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Saturday 19 March 2011

सूरज सा तेज हो आपमें...


प्यारे भैया (रामनारायण गौतम)..,


इतनी ख़ुशी ज़िंदगी में कभी नहीं हुई, जैसे ही पता चला आपने IAS परीक्षा की दूसरी बाधा (मैन्स) पार कर ली है, कदम अपने आप ही ज़मीन से ऊपर उठ गए... ये ख़ुशी मेरे लिए दुनिया की तमाम खुशियों से बढ़कर है... मुझे लेकिन ज़रा अफ़सोस इस बात का है कि इस ख़ुशी को आपके साथ नहीं जी पा रहा हूँ... मैं आपसे चार सौ किलोमीटर दूर भोपाल में हूँ... माफ़ कीजिएगा॥ लेकिन यकीन मानिए भैया मैं बहुत खुश हूँ... शुभकामनाएं...


""सूरज सा तेज हो आपमें, आप चंद सा चमकें, सोने का रंग हो, सदा हीरे सा दमकें...""



आपका स्नेहाधिकारी


"KISHAN"

Thursday 8 April 2010

रामनारायण गौतम की किताब का प्रकाशन

हाल ही में मेरे अग्रज रामनारायण गौतम की किताब का प्रकाशन हुआ है। उन्होंने यह किताब आईएएस, आईपीएस जैसे स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लिखा है। इसका प्रकाशन नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित प्रकाशक न्यू विशाल पब्लिशर्स ने किया है। 'करंट अफेयर्स : कैच द करंट 2010' नाम से प्रकाशित इस किताब में 264 पन्ने हैं और इसका प्रिंट रेट 160 रुपए है। यह नई दिल्ली समेत पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के प्रतिष्ठित बुक डीलर्स के पास उपलब्ध है।






इस किताब में हाल ही की घटनाओं के अतिरिक्त कुछ महत्वपूर्ण अन्य घटनाओं व उनके पास्ट बैकग्राउंड के बारे में विस्तार से उल्लेख है। गौरतलब है कि मेरे बड़े भाई ने मंडला जिले के रानी दुर्गावती कॉलेज से एमएससी (रसायन) उत्तीर्ण किया और इसके बाद नई दिल्ली से आईएएस की परीक्षा में बैठे थे। उन्होंने पहले ही प्रयास में आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी। अध्ययन के साथ ही वे चंडीगढ़ के एक निजी शिक्षण महाविद्यालय में बतौर अतिथि शिक्षक आईआईटी जैसे स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग भी दे रहे हैं। इससे पूर्व उन्होंने अपने गृह नगर डिंडौरी में पिता श्री सूरज प्रसाद गौतम के नाम से एक शिक्षण संस्थान की स्थापना भी की है जिसमें अभी विज्ञान व वाणिज्य विषयों की कोचिंग कराई जा रही है। विज्ञान विषय की कोचिंग का जिम्मा कुछ समय तक भैया ने ही उठाया था, उनके नई दिल्ली चले जाने के बाद यह दायित्व मैंने पूरा किया। तीन साल तक मैंने कोचिंग कराई। वर्तमान में भैया के अजीज दोस्त संतोष बर्मन यह कार्य कर रहे हैं।


अपनी लगन, मेहनत और त्याग का परिचय देते हुए रामनारायण गौतम ने किताब लिखने का धैर्यपूर्ण कार्य अपने अध्ययन अवधि में ही कर दिखाया। इस किताब को उन्होंने पिता श्री सूरज प्रसाद गौतम, माता श्रीमती चैनवती देवी और बड़े भाई श्री रामचंद्र गौतम को दिया। इसके अलावा किताब प्रकाशन में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से सहयोग के लिए उन्होंने अपने मित्रों संतोष बर्मन, आदित्य भाई, रामकेश्वर और मनीष जी को धन्यवाद दिया।
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