उसकी आँखें कुछ कहती हैं
क्या कहती हैं पता नहीं
मैं जो इनमें खो जाऊं
तो इसमें मेरी खता नहीं
पलकें भी कुछ-कुछ कहती हैं
हर एक पल झुकती रहती हैं
जो पूछूं कोई बात है क्या
कहती हैं कुछ भी पता नहीं
हर एक पल झुकती रहती हैं
जो पूछूं कोई बात है क्या
कहती हैं कुछ भी पता नहीं
ये नींदें मेरी उड़ाती हैं
पल-पल मुझको याद आती हैं
बिन देखे इन्हें अब चैन नहीं
बीते एक पल-छिन-रैन नहीं
ये भी तो मुझपे टिकती हैं
लेकिन कहने से डरती हैं
जब बात करूँ तो कहती हैं
बातों में अब वो मज़ा नहीं
लेकिन कहने से डरती हैं
जब बात करूँ तो कहती हैं
बातों में अब वो मज़ा नहीं