Tuesday 21 June 2011

ज़िंदगी को जुबान दे देंगे

ज़िंदगी को जुबान दे देंगे

ज़िंदगी को जुबान दे देंगे
धड़कनों की कमान दे देंगे

हम तो मालिक हैं अपनी मर्ज़ी के
जी में आया तो जान दे देंगे

रखते हैं वो असर दुआओं में
हौसले को उड़ान दे देंगे

जो है सहमी पड़ी समंदर में
उस लहर को उफान दे देंगे

जिनको ज़र्रा नहीं मयस्सर है
उनको पूरा जहान दे देंगे

करके मस्ज़िद में आरती-पूजा
मंदिरों से अजान दे देंगे

मौत आती है तो आ जाए
तेरे हक में बयान दे देंगे



1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ..

जो है सहमी पड़ी समंदर में
उस लहर को उफान दे देंगे

जिनको ज़र्रा नहीं मयस्सर है
उनको पूरा जहान दे देंगे

क्या बात है ...खूबसूरत गज़ल

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