आज रूठा हुआ इक दोस्त बहुत याद आया,
आज गुज़रा हुआ कुछ वक़्त बहुत याद आया।
मेरी आँखों के हर एक अश्क़ पे रोने वाला,
आज जब आँख ये रोए तो बहुत याद आया।
जो मेरे दर्द को सीने में छिपा लेता था,
आज जब दर्द हुआ मुझको बहुत याद आया।
जो मेरी नज़रों में सुरमे की तरह बसता था,
आज सुरमा जो लगाया तो बहुत याद आया।
जो मेरे दिल के था क़रीब फ़क़त उसको ही,
आज जब दिल ने बुलाया तो बहुत याद आया॥
लोग कहते हैं कि मेरा अंदाज़ शायराना हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब जाकर ये अंदाज़ पाया है...
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Friday, 23 April 2010
Thursday, 22 April 2010
मुझे काश कोई दीवाना मिले!
दुआ दो हमें भी ठिकाना मिले
परिंदों को भी आशियाना मिले
तबियत से मिलें मुझे मेरे दोस्त
मेरे दोस्तों से ज़माना मिले
तरसता हूँ नन्हें से लब की तरह
तबस्सुम का कोई बहाना मिले
चला हूँ सफ़र में, मैं ये सोच के
कोई मीत बिछड़ा पुराना मिले
अभी तो लगी है झड़ी ही झड़ी
कभी कोई मौसम सुहाना मिले
परिंदों को भी आशियाना मिले
तबियत से मिलें मुझे मेरे दोस्त
मेरे दोस्तों से ज़माना मिले
तरसता हूँ नन्हें से लब की तरह
तबस्सुम का कोई बहाना मिले
चला हूँ सफ़र में, मैं ये सोच के
कोई मीत बिछड़ा पुराना मिले
अभी तो लगी है झड़ी ही झड़ी
कभी कोई मौसम सुहाना मिले
'किशन' मैं हूँ आशिक़ ज़रा दूसरा
मुझे काश कोई दीवाना मिले
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