आज रूठा हुआ इक दोस्त बहुत याद आया,
आज गुज़रा हुआ कुछ वक़्त बहुत याद आया।
मेरी आँखों के हर एक अश्क़ पे रोने वाला,
आज जब आँख ये रोए तो बहुत याद आया।
जो मेरे दर्द को सीने में छिपा लेता था,
आज जब दर्द हुआ मुझको बहुत याद आया।
जो मेरी नज़रों में सुरमे की तरह बसता था,
आज सुरमा जो लगाया तो बहुत याद आया।
जो मेरे दिल के था क़रीब फ़क़त उसको ही,
आज जब दिल ने बुलाया तो बहुत याद आया॥
लोग कहते हैं कि मेरा अंदाज़ शायराना हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब जाकर ये अंदाज़ पाया है...
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8 comments:
जो मेरे दर्द को सीने में छिपा लेता था,
आज जब दर्द हुआ मुझको बहुत याद आया।
Subhan allah! Aisa dost har kiseeko mile!
sundar bhavpurn prastuti...likhte rahiye...
मेरी आँखों के हर एक अश्क़ पे रोने वाला,
आज जब आँख ये रोए तो बहुत याद आया।
जो मेरे दर्द को सीने में छिपा लेता था,
आज जब दर्द हुआ मुझको बहुत याद आया।
kya baat hai
waah...waah bahut khoob
aabhaar
Wow! Itz A supreb creation, i am speechless. Very Good Poetry, Keep continue. wish u very best of luck.
Yor's
JUHI
Badhia likha hai dost. Meri duaen hain, lagatar likhte raho. Esi rachnaen padhna achchha lagta hai.
Apka
DONTLUV
बहुत बेहतरीन.
रामराम.
waah! bahut achchhee gazal kahi hai.
Sabhi sher ek se badh kar ek hain!
बहुत उम्दा रचना!
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