नामुनासिब से हैं हालात अभी रहने दीजिए
तय कीजिए न मुलाक़ात अभी रहने दीजिए
गुम हुआ हूँ अभी इश्क़ की वादी में कहीं
उलझे-उलझे हैं सवालात अभी रहने दीजिए
पढ़ने दीजिए मुझे चाँद से रुख की तहरीर
अपनी जुल्फों की स्याह रात अभी रहने दीजिए
आपके प्यार के काबिल तो मैं हो लूं पहले
ये मचलते हुए ज़ज्बात अभी रहने दीजिए
कौन अपना है यहाँ दर्द को सुनने वाला
किस्से कीजिएगा शिकायत अभी रहने दीजिए
लोग कहते हैं कि मेरा अंदाज़ शायराना हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब जाकर ये अंदाज़ पाया है...
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Wednesday, 15 June 2011
Saturday, 17 April 2010
मुझे पसंद नहीं है थकना!
ये और बात है कि तू नहीं मेरा अपना
मगर तू वही जिसका मैंने देखा था सपना
कहीं है आग कहीं बर्फ़ की दीवारें हैं
कहीं है धूप कहीं चुलबुली फुहारें हैं
कि कोई आ गया आवाज़ दे रहा है मुझे
उठा तो देखा कि झट से टूटा था मेरा सपना
चला ही जाता हूँ मैं हवा के साथ-साथ
ये मेरा जूनून है मुझे पसंद नहीं है थकना
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