ये और बात है कि तू नहीं मेरा अपना
मगर तू वही जिसका मैंने देखा था सपना
कहीं है आग कहीं बर्फ़ की दीवारें हैं
कहीं है धूप कहीं चुलबुली फुहारें हैं
कि कोई आ गया आवाज़ दे रहा है मुझे
उठा तो देखा कि झट से टूटा था मेरा सपना
चला ही जाता हूँ मैं हवा के साथ-साथ
ये मेरा जूनून है मुझे पसंद नहीं है थकना
5 comments:
बस इसी जूनून को बनाये रखिये..अच्छी रचना .
चला ही जाता हूँ मैं हवा के साथ-साथ
ये मेरा जूनून है मुझे पसंद नहीं है थकना
kya gazab kaha!
ये और बात है कि तू नहीं मेरा अपना
मगर तू वही जिसका मैंने देखा था सपना|
Very Good Lines.
JUHI
अच्छी रचना|
Kya Likhte ho Gautam Bhai. Shubhkamnaen!
Apka
DONTLUV
Post a Comment