Thursday 21 July 2011

मोहब्बत...

आज दिल की जुबां बनकर आएगी मोहब्बत
जो नहीं कहना था वो कह जाएगी मोहब्बत

मेरी बस यही आरज़ू है कि तेरी ये आँखें
ख़ाब इसमें सारे मुझको दिखाएगी मोहब्बत

मेरे दिल से कोई पूछे कितना शामिल है तू मुझमें
जां मेरी जान लेके भी चैन पाएगी न मोहब्बत

मैंने माँगा था जिसको दुआओं में वो तू है
हर दुआ अबके मेरी रंग लाएगी मोहब्बत

प्यार का ये है सफ़र एक हम एक तुम हो
इस जनम में ही मंज़िल दिलाएगी मोहब्बत

ऐ मेरी जान-ऐ-ग़ज़ल थाम ले दिल तू अपना
राज़ दिल में जो छिपे हैं वो बताएगी मोहब्बत

2 comments:

kshama said...

आज दिल की जुबां बनकर आएगी मोहब्बत
जो नहीं कहना था वो कह जाएगी मोहब्बत
Bahut sundar panktiyan!

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर रचना।

Related Posts with Thumbnails