क़िताब के पन्ने पलटकर सोचता हूँ
यूँ पलट जाए ज़िंदगी तो क्या बात है
तमन्ना जो पूरी हो ख्वाबों में
हक़ीक़त बना जाए तो क्या बात है
कुछ लोग मतलब के लिए ढूंढ़ते हैं मुझको
कोई दोस्त बनकर आए तो क्या बात है
क़तल करके तो ले जाएंगे दिल मेरा
कोई नज़रों से चुराए तो क्या बात है
जो शरीफों की शराफत में बात न
होएक भंवरा कह जाए तो क्या बात है
ज़िंदा रहने तक तो खुशी दूंगा सबको यारो
अगर मेरी मौत से खुशी मिले किसी को तो क्या बात है
(अज्ञात)
6 comments:
areee wah bahut hi sundar gazal...kya baat hai...
बहुत खूबसूरत लब्जों से नवाज़ा है
प्रशंसनीय
wah kya baat hai...
कुछ लोग मतलब के लिए ढूंढ़ते हैं मुझको
कोई दोस्त बनकर आए तो क्या बात है
Wah ! Kya baat hai..! Bahut khoob!
waah!bahut achchhee gazal likhi hai aap ne.
बहुत ही अच्छी गजल
Post a Comment