बाघ... जो कभी जंगल की शान हुआ करते थे। बाघ... जो जिसकी एक दहाड़ ही रोंगटे खड़े करने करने के लिए काफी थी। बाघ... जिन पर कहावतें और मुहावरों के माध्यम से लोग बहादुरी के किस्से कहा करते थे और बाघ... जिसे देश के महापुरुषों ने राष्ट्रीय पशु की उपाधि दी है...
आज देखने में आ रहा है कि वही बाघ हमारे लिए किसी दुर्लभ प्रजाति के जानवर बनकर रह गए हैं। यह भी आसानी से कहा जा सकता है कि एक समय में जो बाघ चिड़ियाघरों और सर्कसों में लोगों का मनोरंजन किया करते थे उस तरह के बाघ भी बचेंगे या नहीं। आंकड़े बताते हैं कि अब देश में महज 1411 बाघ ही बचे हैं। बाघों के प्रति मानव समुदाय का रवैया यही रहा तो तय है कि धीरे-धीरे इन चार अक्षरों से एक-एक अक्षर अलग होता जाएगा और आने वाले समय में हम अपने बच्चों को बताया करेंगे कि 'एक समय था जब बाघ थे!' फिर बेटा पूछेगा कि वो कैसे दिखते थे, तब बाघों की शारीरिक संरचना का बयान भी करने में हमें परेशानी होगी, क्योंकि तब तक बाघ केवल फोटो फ्रेम कराकर रखे जाएंगे। यह भी सम्भव है कि बाघों की तरह उनकी तस्वीरें भी विलुप्त हो जाएंगी। 'हम अपने बच्चों को बाघ की फोटो दिखाकर बताएंगे कि बेटे! बाघ ऐसे दिखते थे!'
कैसी बिडंबना है कि पहले लोग बाघों से डरा करते थे और जंगलों में जाने से बचते थे कि कहीं से कोई बाघ न आ जाए॥! और अब आलम यह है कि लोग बन्दूक इत्यादि हथियार लेकर जंगलों का रुख करते हैं..। वो भी बाघों का शिकार करने! वही डर जो पहले इंसानों में बाघों के प्रति हुआ करता था, अब बाघों के जेहन में बैठ गया है। उन्हें लगता है कि क्या जाने कहीं से कोई इंसान आ जाए और अपनी बन्दूक का निशाना बना ले।
साल 2006 के आंकड़े बताते हैं कि उस वक्त देशभर में कुल 3846 बाघ थे। उस समय के हिसाब से देश की विभिन्न अभयारण्यों का ब्यौरा अगर देखें तो Andhra Pradesh में 171, Arunachal Pradesh में 180 Assam में 458, Bihar में 103 Goa, Daman&Diu में 6, Gujrat में मात्र 01, Karnataka में 350, Kerala में 57, Madhya Pradesh में 927, Maharastra में 257, Manipur में 31, Meghalaya में 53, Mizoram में 12, Nagaland में 83, Orissa में 194, Rajasthan में 58, Sikkim में मात्र 02, Tamil Nadu में 62, Tripura में 05, Utter Pradesh में 475 और West Bengal में 361 बाघ थे!
आज के दशा यह है कि वर्तमान के आंकड़े बताने में शर्म सी आ रही है...
देश के बाघ अभयारण्यों की स्थिति यहाँ देखें :
Jaldapara Wildlife Sanctuary
Nagarhole National Park
Periyar Tiger Reserve
Buxa National Park
Corbett National Park
Dudhwa National Park
Kanha National Park
Manas National Park
Melghat Tiger Reserve
Pench National Park
Ranthambhore Tiger Reserve
Simlipal Tiger Reserve
Sunderbans Tiger Reserve
Tadoba Andhari Tiger Reserve
Bandipur-Mudumalai National Park
Namdapha National Park
Bandhavgarh Tiger Reserve
Panna Tiger Reserve
Kaziranga National Park
Idukki Wildlife Sanctuary
Hazaribagh Wild Life Sanctuary
Kalakkadu Wildlife Sanctuary
Palamau Tiger Reserve
Anamalai Wildlife Sanctuary
Rajaji National Park
Silent Valley National Park
Nandankanan Biological Park
Madhav National Park
B.R Hills
Nagarhole National Park
Periyar Tiger Reserve
Buxa National Park
Corbett National Park
Dudhwa National Park
Kanha National Park
Manas National Park
Melghat Tiger Reserve
Pench National Park
Ranthambhore Tiger Reserve
Simlipal Tiger Reserve
Sunderbans Tiger Reserve
Tadoba Andhari Tiger Reserve
Bandipur-Mudumalai National Park
Namdapha National Park
Bandhavgarh Tiger Reserve
Panna Tiger Reserve
Kaziranga National Park
Idukki Wildlife Sanctuary
Hazaribagh Wild Life Sanctuary
Kalakkadu Wildlife Sanctuary
Palamau Tiger Reserve
Anamalai Wildlife Sanctuary
Rajaji National Park
Silent Valley National Park
Nandankanan Biological Park
Madhav National Park
B.R Hills
आज महज तीन साल बाद ही यह आंकड़ा 1411 पर आ गया है। यानि तब से लेकर अब तक बाघों की संख्या में 2435 की कमी आई है। चिन्ता का विषय है कि महज तीन सालों में ही 2435 बाघों का अस्तित्व अभयारण्यों की सूची से हट गया। बहरहाल, 'सेव टाइगर्स' या 'बाघ बचाओ' एक ऐसा विषय है जिस पर एक नहीं, दो नहीं बल्कि हजारों पन्नों वाली किताब लिखी जा सकती है। ऐसे मुद्दे पर लिखने या पढ़ने से कुछ नहीं हो सकता क्योंकि जब तक देश का प्रत्येक नागरिक यह नहीं सोचेगा कि बाघों का संरक्षण भी उनके दैनिक जीवन का एक बड़ा उत्तरदायित्व है। फालतू की कलम घिसने से बेहतर यही होगा कि जिस तरह शिवसेना वाले शाहरुख खान और पाकिस्तान का विरोध करते हैं, बजरंग दल वाले वैलेंटाइंस डे और समलैंगिकता का विरोध करते हैं ठीक वैसे ही बाघों के संरक्षण का जिम्मा लिया जाए और 'हल्ला' बोला जाए॥।
"चलो उठो कमर कस लो कि आगे बढ़ते जाएंगे,
कुछ भी हो कैसे भी हो, अब एक-एक बाघ बचाएंगे।"
(आंकड़े : साभार इंटरनेट)
2 comments:
bahoot he achha likha hai aapne
गौतम जी, आपका यह लेख बहुत ही अच्छा लगा.
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