Thursday 29 April 2010

सितम के बाद वक़्त आएगा वफाई का!

तेरी ही राह पे नज़रें लगाए बैठे हैं
कि अपने आप को पागल बनाए बैठे हैं

जब से देखा है तुझे देखते ही रहते हैं
तुम्हारी याद में नींदें गँवाए बैठे हैं

चमन में फूल खिलेंगे यहाँ कभी "गौतम"
इसी उम्मीद से हम मुस्कुराए बैठे हैं

निकल के कारवां जाने कहाँ रुकेगा फिर
हर एक पड़ाव को मंज़िल बनाए बैठे हैं

जो तुम न आए तो हैरत न होगी महफ़िल में
हम तो अपने दोस्तों को भी आजमाए बैठे हैं

सितम के बाद वक़्त आएगा वफाई का
इस बात का खुद को भरोसा दिलाए बैठे हैं

नज़र नज़र में बात होती रहे तो बेहतर है
कोई न समझे कि किसी बेवफा से दिल लगाए बैठे हैं

5 comments:

Mayur Malhar said...

bahut achche.
keep it up

ज़मीर said...

Gautam bhai, bahut hi sundar gazal likhi hai aapne. shubhkamnay

kshama said...

सितम के बाद वक़्त आएगा वफाई का
इस बात का खुद को भरोसा दिलाए बैठे हैं

नज़र नज़र में बात होती रहे तो बेहतर है
कोई न समझे कि किसी बेवफा से दिल लगाए बैठे हैं
Bahut khoob!

"प्यासा सावन" said...

Waah! kya baat hai. bahut badhia.



Apka
DONTLUV

Unknown said...

Achchi gajal hai. bahut badhia likhi hai.



JUHI

Related Posts with Thumbnails