हमसफ़र न बनाओ न सही
दो कदम तो साथ चलने दो
रुत बदल जाएगी
समां बदल जाएगा
शायद कभी तुम्हारा
मन भी बदल जाएगा
मैं साथ हूँ साथ ही रहूँगा
उम्मीद का दीपक जलने दो
हमसफ़र न बनाओ न सही
दो कदम तो साथ चलने दो
मैं चुप रहूँगा
कुछ भी न कहूँगा
मेरी धड़कन सुनो
अपनी खामोशी सुनने दो
मुझे अपने साथ-साथ बहने दो
दो कदम तो साथ चलने दो
लोग कहते हैं कि मेरा अंदाज़ शायराना हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब जाकर ये अंदाज़ पाया है...
Monday, 29 November 2010
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4 comments:
... kyaa baat hai ... behatreen !!!
0888 937 6937
Tum ho kahan. Jara phone karo urgent.
ek maasum si khwaahish....
ise kon nahi maanega bhala..
bahut badhiya,
kunwar ji,
मैं चुप रहूँगा
कुछ भी न कहूँगा
मेरी धड़कन सुनो
अपनी खामोशी सुनने दो
waaah...
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