Thursday 4 March 2010

अपना सबकुछ गंवा के बैठ गए...


किसी की याद में खुद को भुला के बैठ गए
किसी बेवफा से दिल लगा के बैठ गए
*
पास के फायदों की खातिर हम
दूर के चोट खाके बैठ गए
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बरस रही थी फिजा में शवाब जब एक दिन
उसी फिजा में हम अपने हाथ जला के बैठ गए
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कौन कहता है जान जाती है
हम खुद सबों को बता के बैठ गए
****
उसकी चाहत में हो गए तन्हां
अपना सबकुछ गंवा के बैठ गए
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कहते थे वो कि मेरे अपने हैं
वो हमसे जी छुड़ा के बैठ गए
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किसी की याद में खुद को भुला के बैठ गए
सरेआम किसी बेवफा से दिल लगा के बैठ गए

Ask - Ram Krishna Gautam "RAM"

2 comments:

Fauziya Reyaz said...

bahut khoob...
likhte rahiye...keep it up

kshama said...

कहते थे वो कि मेरे अपने हैं
वो हमसे जी छुड़ा के बैठ गए
Sundar alfaaz!

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