हमसफ़र किसे कहें
जो साथ चले उसे
या
जो साथ दे
जो साथ दे
वो साथ है
इस बात का
कोई भरोसा तो नहीं
लेकिन
जो साथ चले
उसने साथ चलकर
सबूत दिया है
साथ होने का
मगर प्यार को
किसी सबूत की
जरूरत नहीं होती
ये भी तो सच है ना?
फिर जो साथ दे उससे
भरोसे की उम्मीद तो
कर ही सकते हैं!!
लोग कहते हैं कि मेरा अंदाज़ शायराना हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब जाकर ये अंदाज़ पाया है...
Thursday, 26 May 2011
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2 comments:
बहुत खूब..जरुर कर सकते हैं.
बिल्कुल कर सकते हैं भरोसा ..
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