Sunday, 8 August 2010

मेरी 'जानेमन'!

तू दुखी न हो, मैं तेरे पास हूँ
मैं आ रहा हूँ मेरी 'जानेमन'

तेरे दिल की बात मैंने सुन ली है
बस ज़रा सा रुक मेरी 'जानेमन'

तू ठहर ज़रा उसी छाँव में
हम मिले थे जहाँ, जिस गाँव में

न परेशान हो, न हैरान हो
मैं आ रहा हूँ मेरी 'जानेमन'

तू सुन ज़रा मेरे मन की बात
जब कहा था मैंने मैं हूँ तेरे साथ

न निराश हो, न हताश हो
मैं आ रहा हूँ मेरी 'जानेमन'

तेरे प्यार की उम्मीद है
तेरी रूह का अहसास है

तू ज़रा ठहर, ज़रा सब्र कर
मैं आ रहा हूँ मेरी 'जानेमन'

है मुझे कसम तेरे प्यार की
है फ़िक़र तेरे इंतज़ार की

तुझे है सदा ऐ मेरे सनम
मैं आ रहा हूँ मेरी 'जानेमन'

4 comments:

kshama said...

Kitna pyara sandesh hai yah apni priytama ke liye!

Udan Tashtari said...

बढ़िया है...

Gautam RK said...

⎝⏠⏝⏠⎠ Aap Dono ka Shukriya...

देवेन्द्र पाण्डेय said...

..प्यारी नज़्म.

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