Thursday, 19 August 2010

पांव की ज़ंजीर क्या है देख ले!

आह क्या, तासीर क्या है देख ले
इश्क़ तक़दीर क्या है देख ले

गुफ्तगूँ करने का ढंग तू सीख ले
कहती ये तस्वीर क्या है देख ले

सूखी झीलों का तू मंजर देख और
बह गया जो नीर क्या है देख ले

लज्ज़तें हैं लाज़वाब इसमें ज़नाब
प्रीत की ये पीर क्या है देख ले

जिंदगी गुज़री है अपनी उनके साथ
कौन ग़ालिब, मीर क्या है देख ले

तू तो बस ये ज़िंदगी तदबीर कर
करती फिर तक़दीर क्या है देख ले

तुमने देखा है अभी तक आसमां
पांव की ज़ंजीर क्या है देख ले

3 comments:

रानीविशाल said...

तुमने देखा है अभी तक आसमां
पांव की ज़ंजीर क्या है देख ले
वाह ! बहुत खूब ...शुभकामनाए
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

ज़मीर said...

बहुत बढिया..

गौतम भाई कैसे है.शुभकामनायें.

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया .......माफी चाहता हूँ..

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