गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ यार होली में
नहीं ये है गुलाले-सुर्ख उड़ता हर जगह प्यारे
ये आशिक की है उमड़ी आहें आतिशबार होली में
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में
है रंगत जाफ़रानी रुख अबीरी कुमकुम कुछ है
बने हो ख़ुद ही होली तुम ऐ दिलदार होली में
रस गर जामे-मय गैरों को देते हो तो मुझको भी
नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली में
आप सभी महोदया/महानुभावों को "होली पर्व" की लाख-लाख बधाइयाँ!!
रचनाकार: भारतेंदु हरिश्चंद्र
2 comments:
Gautam ji,
Holi ki badhai aur shubhkaamnay.
Zameer
गौतम जी नमस्कार,
हौसला बडाने के लिये धन्यवाद और आभार.
हॆपी होली.
Post a Comment