Wednesday, 17 February 2010

मुनव्वर है तेरी खुश्बू से...

मुनव्वर है तेरी खुश्बू से ये चौखट मेरा
तेरी रहमतों से ही आबाद है अब घर मेरा
दुनिया तो समुन्दर है 'गौतम' मैं कहीं भी जाउं
पर तेरे बिन होता नहीं कहीं पे भी बसर मेरा
पास होती हो तो उलझनें मिट जाती हैं
दूर होती हो तो फट जाता है जिगर मेरा
क्या कहूं कौन सा है ये रिश्ता तेरा-मेरा
अब तो हर रोज ही करता हूं मैं जिकर तेरा
आंख से आंसू भी निकलें तो परवाह नहीं
इनकी दरिया पे बहकर मिलेगा रहगुजर मेरा

3 comments:

Randhir Singh Suman said...

आंख से आंसू भी निकलें तो परवाह नहीं
इनकी दरिया पे बहकर मिलेगा रहगुजर मेरा .nice

Alpana Verma said...

आंख से आंसू भी निकलें तो परवाह नहीं
इनकी दरिया पे बहकर मिलेगा रहगुजर मेरा
waah! bahut sundar!

संजय भास्‍कर said...

क्या कहूं कौन सा है ये रिश्ता तेरा-मेरा
अब तो हर रोज ही करता हूं मैं जिकर तेरा
आंख से आंसू भी निकलें तो परवाह नहीं
इनकी दरिया पे बहकर मिलेगा रहगुजर मेरा

इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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