Monday, 12 September 2011

और तुम हमको खो दोगे

मेरी रूह निकलने वाली होगी
मेरी सांस बिखरने वाली होगी
फिर दामन ज़िन्दगी का छूटेगा
धागा साँसों का भी टूटेगा

फिर वापस हम न आएँगे
फिर हमसे कोई न रूठेगा
फिर आँखों में नूर नहीं होगा
फिर दिल ग़म से चूर नहीं होगा

उस पल तुम हमको थामोगे
हमसे दोस्त तुम अपना मांगोगे
फिर हम न कुछ भी बोलेंगे
आँखें भी न अपनी खोलेंगे

उस पल तुम जोर से रो दोगे
और तुम हमको खो दोगे

2 comments:

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आखिरी हिचकी तेरे.....
............... शायराना चाहता हूँ.
आते ही दिल खुश हो गया... फिर सुन्दर कविता...
वाह.... बहुत खूब...
बधाई....

Asha Joglekar said...

सुंदर कविता, जीवन के अंतिम सत्य को उजागर करती हुई ।

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