Monday 27 June 2011

बेटी का सवाल..?

बेटी बनकर आई हूँ माँ-बाप के जीवन में,
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में,

क्यों ये रीत भगवान ने बनाई होगी,
कहते हैं आज नहीं तो कल तू पराई होगी,

देके जनम पाल-पोसकर जिसने हमें बड़ा किया,
और वक़्त आया तो उन्हीं हाथों ने हमें विदा किया,

क्यों रिश्ता हमारा इतना अज़ीब होता है,

क्या
बेटियों का बस यही नसीब होता है?

2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यही होता आया है ... अच्छी अभिव्यक्ति

Udan Tashtari said...

सार्थक अभिव्यक्ति!!

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