Monday, 24 January 2011

वफ़ा आज़माई जाती है

बना-बना के तमन्ना मिटाई जाती है।
तरह-तरह से वफ़ा आज़माई जाती है॥

जब उन को मेरी मुहब्बत का ऐतबार नहीं।
तो झुका-झुका के नज़र क्यों मिलाई जाती है॥

हमारे दिल का पता वो हमें नहीं देते।
हमारी चीज़ हमीं से छुपाई जाती है॥

'शकील' दूरी--मंज़िल से ना-उम्मीद हो।
मंजिल अब ही जाती है अब ही जाती है॥

1 comment:

kshama said...

हमारे दिल का पता वो हमें नहीं देते।
हमारी चीज़ हमीं से छुपाई जाती है॥
Wah! Kya baat hai!
Gantantr Diwas kee dheron badhayee!

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