वो इस चाह में रहती हैं कि हम उनको उनसे मांगें,
और हम इस गुरूर में हैं कि
हम अपनी ही चीज़ उनसे क्यों मांगें!!!
लोग कहते हैं कि मेरा अंदाज़ शायराना हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब जाकर ये अंदाज़ पाया है...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
andar ki baat hai..
aapas me suljhayen...
achchhi post!
उत्तम भाव .
अच्छा लगा.
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
Post a Comment