Thursday, 26 August 2010

माँ और उसका बेटा...

एक हट्टा-कट्टा सा मुस्टंडा व्यक्ति
रात के अँधेरे में टेबल लेम्प जलाकर

बड़ी गंभीरता से कुछ लिख रहा था
रात के दो बज रहे थे, सन्नाटा पसरा था

तभी एक बूढ़ी औरत उसके पास आई
उसके हाथ में दूध का गिलास था

उसने बड़े प्यार से उस व्यक्ति से कहा
बेटा रात बहुत हो गई है, दूध पी ले, सो जा

उस आदमी ने गुस्से से आँखें तरेरीं और कहा
माँ, तू देखती नहीं मैं कुछ कर रहा हूँ

कल कालेज में 'माँ' पर मेरा भाषण है
उसी के लिए तयारी कर रहा हूँ...

1 comment:

ज़मीर said...

Gautam bhai, bahut hi sundar kavita lagi.

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