Saturday 10 December 2011

इम्तेहान...

मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या लेगा

ये दुनिया बेवफा है वादा किसी से क्या लेगा
ढलेगा दिन तो हर कोई अपना रास्ता लेगा

मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊंगा
कोई चिराग़ नहीं हूँ जो फिर जला लेगा

कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए
जो टूटा दिल है वो बदला किसी से क्या लेगा

मैं लाख करता रहूँ उसे
याद दिन को रातों को 
मैं जनता हूँ वो जब चाहेगा मुझे भुला देगा

1 comment:

kshama said...

ये दुनिया बेवफा है वादा किसी से क्या लेगा
ढलेगा दिन तो हर कोई अपना रास्ता लेगा
Wah! Kya baat hai!

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